इमाम का मुसल्ला कहां होना चाहिए?
क्या फर्माते हैं उलेमा-ए-दीन और मुफ्तियान-ए-शरअ मुतीन इस मसले के बारे में कि इमाम का मसल्ला कहां पर होना चाहिए; मिंबर के बराबर या बाहर? और अगर बाहर तो कितना? ब-राय मेहरबानी जवाब इनायत फरमाएं। अ'इन नवाज़िश व करम होगा। फ़कत वस्सलाम।
साइल: मुहम्मद इमरान रिज़वी, नानपारा, ज़िला बहराइच शरीफ, (यूपी, हिंदुस्तान)
व-अलैकुम अस्सलाम व रहमतुल्लाहि व बरकातहु
बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम
जवाब: इमाम के कदम मेहराब से बाहर होने चाहिएं, अगरचे सजदा मेहराब के अंदर हो, क्योंकि बिला ज़रूरत मेहराब के अंदर खड़ा होना मकरूह है।
दुर्रे मुख़्तार में है:
"وقيام الإمام في المحراب لا سجوده فيه" وقدماه خارجة لأن العبرة للقدم [الدر المختار ، ٦٤٥/١]
(इमाम का मेहराब में खड़ा होना मकरूह है, अगर कदम बाहर हों और सजदा मेहराब में हो तो यह मकरूह नहीं, क्योंकि ए'तिबार कदमों का है।)
आ'ला हज़रत इमाम अहमद रज़ा ख़ान अलैहिर्रहमा फ़तावा-ए-रज़विया में लिखते हैं:
"फिल वाक़े इमाम का बेज़रूरत मेहराब में खड़ा होना कि पाँव मेहराब के अंदर हों यह भी मकरूह है।" (फ़तावा-ए-रज़विया, जिल्द 6, सफ़हा 29, मुतरज्जिम)
व-अल्लाह तआ'ला अ'लम
कातिब: मुहम्मद शहबाज़ अनवर अलबरकाती अल्मिस्बाही
17 शाबान
अलमुअज्जम 1442 ह.
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